गिरगिट माहोल देख कर रंग बदलता हैं और इंसान मौका देख कर

देर से बनो पर ज़रूर कुछ बनो ! क्योंकि वक़्त के साथ लोग खैरियत नहीं हैसियत पूछते हैं

शरीफ हैं हम किसी से लड़ते नहीं पर जमाना जानता हैं किसी के बाप से डरते नहीं

अंदाजे से न नापिये किसी इंसान की हस्ती, ठहरे हुए दरिया अक्सर गहरे हुआ करते हैं..

जिनमे अकेले चलने का हौसला होता है, उनके पीछे एक दिन काफिला चलता है

जितना बदल सकते थे, ख़ुद को बदल लिया, अब जिसको शिकायत है वो अपना रास्ता बदले..

शेर को जगाना और हमे सुलाना किसी के बस की बात नहीं हम वहां खड़े होते हैं जहा मैटर बड़े होते हैं.

अच्छा हूँ तो अच्छा ही रहने दो, बुरा बन गया तो झेलने की औकात नहीं तुम्हारी.

टक्कर की बात मत करो जिस दिन सामना होगा, उस दिन हस्ती मिटा देंगे.

टक्कर की बात मत करो जिस दिन सामना होगा, उस दिन हस्ती मिटा देंगे.

मैं जानता हूँ कहाँ तक उड़ान है उनकी मेरे ही हाथ से निकले हुए परिंदे हैं.

किसने कहाँ था की खुशियाँ बाटने से बढ़ती हैं, आजकल खुशियाँ बांट दो तो दुश्मन बढ़ जाते हैं

जंग लगी तलवारो पर अब धार लगानी होगी, कुछ लोग औकात भूल गए अपनी शायद उन्हें याद दिलानी होगी