गलतफहमी में जीने का मजा ही कुछ और है ये हक़ीक़तें रुलाती बहोत है॥

ना ढूंढ जवाब तू सवाल भी उलझे हुए है… कुछ तेरी तरह कुछ मेरी तरह...

सुकून ढूंढिए जनाब, ज़िंदगी की जरूरतें कभी खत्म नहीं होंगी!!

मैं कहाँ जनता हूँ दर्द की क़ीमत मेरे अपनों ने मुझे मुफ्त में दिया है

ज़िन्दगी ने हमें बहुत कुछ सिखाया है जीना है तो लोगों पर भरोसा कम करो

एक दिन वक्त भी साथ बैठकर रोया मेरे कहने लगा तू तो ठीक है बस मैं ही खराब हूं

मेरी ख़ामोशी हज़ार आवाज़े लगाती है पर अफ़सोस वो तुम सुन नहीं सकतें